एक मासूम थी ,वो अलीगढ़ की ननही_ सी जान थी वो!_2
दुनिया मे किलकारियो के साथ आई थी वो।_2
ढाई साल की मासूम थी वो
- ट्विंकल नाम था उसका,_2
अभी तो टिमटिमाना बाकी था।
उससे पहले ही उसकी रोशनी छीन ली उन दरिंदो ने।_2
चंद पैसो के लिए _2
इतनी बुरी मौत,
कि रूह काॅप गई उसकी।
- अभी तो बोलना भी नही सीखा था उसने_2
चंद पैसो के- - - - - - - - - - रूह काॅप गई उसकी।_2
- अभी तो आँखे खोली ही थी उसने,-2
उससे पहले ही आँखे फोङ डाली उसकी।
चंद पैसो के लिए- - - - - - - - - - रूह काँप गई उसकी।-2
- पाबंदी लगाते है कपङो पर,-2
फिर भी चंद पैसो के लिए- - - - - - - - रूह काँप गई उसकी।-2
ना जाने कितने अभियान चलाए-2
सेलफी विद डाॅटर,बेटी बचाओ बेटी पढाओ।
थोड़े दिन के लिए रोशनी,फिर वही अधेंरा छा गया।-2
चंद पैसो के लिए - - - - - - - - रूह काँप गई उसकी।
*निरभया हतयाकांड हो या आसिफा -2
ना जाने कितने दिनो बाद फैसला आया,
और सजा कया मिली फाँसी,-2
सजा-ए-मौत वो हो,
जो देखने वालो की रूह काँप जाए,-2
इन दरिंदो की आँखे उसी तरह फोड़ दी जाए,
जैसा उनहोने मासूम के साथ किया
दोबारा कोई इसांन ऐसी गलती ना करे-2
जब कोई दोबारा ऐसा करने की सोचे,
उस बचची के याद कर रूह काँप जाए उनकी।-2
चंद पैसो के लिए इतनी बुरी मौत ना मिले।-2
ये कैसी इंसानियत है।
इंसानियत बाकी है अभी भी,
तो आ जाओ सड़को पर,
कर दो ट्रैफिक जाम,
तभी सरकार फैसला लेगी,
सजा मिले उन दंरिदो को,रूह काँप जाए उनकी,
उन दंरिदो की चीखे ,उस बचची का इंसाफ होगी।
फिर कोई ऐसी गलती ना करे,
चंद पैसो के लिए-2
किसी मासूम की जान न जाए।
जब कोई दोबारा ऐसा करने की सोचे,
उस बचची के याद कर रूह काँप जाए उनकी।-2
चंद पैसो के लिए इतनी बुरी मौत ना मिले।-2
- आरक्षण के लिए सङको पर आ जाते हो,
ये कैसी इंसानियत है।
इंसानियत बाकी है अभी भी,
तो आ जाओ सड़को पर,
कर दो ट्रैफिक जाम,
तभी सरकार फैसला लेगी,
- फिर कोई दूसरी बचची दंरिदो का शिकार न हो,
सजा मिले उन दंरिदो को,रूह काँप जाए उनकी,
उन दंरिदो की चीखे ,उस बचची का इंसाफ होगी।
फिर कोई ऐसी गलती ना करे,
चंद पैसो के लिए-2
किसी मासूम की जान न जाए।
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