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Showing posts with the label Love poem

Poem on first day of college

  That first day of college,   When they hit,  These hearts also panicked,  Seeing them at first sight,  Do not know why so much persecution.  Every day wait for you,  Miss you at class time,  Keep an eye on you,  Became our habit  Think about you, smile  To talk among themselves,  Feeling of burning with others,  Became our habit  Not wanting to,  Fall in love with you  Even in our prayers,  Come to your attention  Everything is recognized.  Our breath is connected to your breath,  Slowly close and hold our hand,  In the first day of that college,  So much of everything happens.  Become unknown to fellow  The first day of college,  Realizing that everything has happened  To be the most special in our lives,  That college- - - - - - - - - - - First day.

My diary,My Friend

  In every moment of life,   She was with me,  My diary for me,  Something special was special.  In that diary of twenty pages,  The essence of my life was  On different pages,  It was a world of sour and sweet memories.  Life - - - - - - - - was special.  Write my tears falling,  And make them drink it,  Of friendship for a friend,  This was just a feeling.  Like a friend of mine,  The memories were saved,  Read it to your memories,  To refresh for me,  This was the feeling of my friendship,  Life - - - - - - - - - was special.

आज कुछ नया

 आज कुछ नया हो रहा था, न जाने क्यों हवाओ का रूख बदल रहा था, धीरे-धीरे मौसम भी बदल रहा था, जाने क्यों ऐसा पहली बार हो रहा था। आज- - - - - - - - - - - - हो रहा था, धीरे-धीरे- - - - - - - - - बदल रहा था सावन की पहली बरसात मे भी कुछ खास था, फूल-पतियों का यूँ खिल जाना एक नया एहसास था, आज- - - - - - - - - - - - हो रहा था। धीरे-धीरे- - - - - - - - - - बदल रहा था। आज हम भी कुछ बेचैन थे , न जाने क्यों इतने परेशान थे, किसी शायर ने इस परेशानी का कारण, एक मोहब्बत को बताया, न जाने कब उनकी मोहब्बत के हम कायल हो गए। आज- - - - - - - - - - - - - हो रहा था, धीरे-धीरे- - - - - - - - - बदल रहा था।

छाई बरखा बहार/Love poem

 आसमान मे बादल छाए, This image related to rain धीरे-धीरे बरखा लाए, बरखा की बूंदे, बच्चों को बहुत लुभाए, धीरे-धीरे सब मस्ती मे आए। आसमान- - - - - - लाए। मुरझाए फूल-पतो मे, जान आ गई, धीरे-धीरे आसमान मे , बरखा छा गई। आसमान- - - - - - - - - लाए। पशु-पक्षियों का कलरव छा गया, धीरे-धीरे मोर नाचने आ गया, वातावरण मे हरियाली छाई, धीरे-धीरे तीज भी , अपने घर से निकल आई। आसमान - - - - - - - - - लाए।

बचपन की दोस्ती/Love poem

बचपन की दोस्ती, मे भी कुछ खास था, उन यादो मे भी कुछ एहसास था। कही वो मासूम चेहरे, कही दिल खुश करने वाली हसी थी, कही वो स्कूल के झूले, कही वो खेल के मैदान भी कुछ खास थे। बचपन- - - - - - - - - -   खास था उन यादो- - - - - - -- - - - - एहसास था। हज़ारो दोस्तो का साथ था, बहुत सारे अध्यापको का प्यार था, उन यादो मे भी कुछ खास था। वो साथ बैठ खाना खाने का एहसास था, जिसमे दोस्तो के पकवानों का इंतज़ार था, उन लम्हों मे भी कुछ खास था, जिन लम्हों में उन सबका साथ था। बचपन- - - - - - -- - - खास था, उन यादो- - - -- - -- एहसास था। वो पानी के बहाने,स्कूल का चक्कर , लगाने का चाव भी कुछ खास था, वो हाथ पकड़ घूमने का, वो प्यार भी कुछ खास था। बचपन- - - - - - - - - - खास था, उन यादो- - - - - - - - एहसास था। कुछ दीवारों ने हमे उनसे अलग कर दिया , न चाहते हुए भी हमे उनसे दूर कर दिया, हमारी ज़िंदगी मे एक नूर था, वो नही जानते हमारी ज़िंदगी का वही एक कोहीनूर था। बचपन- - - - - - - - - - खास था, उन यादो- - - - - - - - - एहसास था।

तितली/ Love poem

 तितली बन उड़ जाऊ मैं कही इधर कहीं उधर उड़ती जाऊँ । फूलो से मकरंद चूस कर  अपने ,छते मे घुस जाऊँ मैं । बच्चों को लुभाती हूँ मैं उनकी सहेली कहलाती हूँ मैं। अपने रंग- बिरंगे पंखो से  उन्हें पास बुलाती हूँ मैं । तितली बन उड़ जाऊं मैं- - - -  तितली बन उड़ जाऊं मैं- - -