Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Sad _poem

मौत _ए_ मंजर/Sad_poem

 एक किस्सा बंद नहीं होता  दूसरा शुरू हो जावै है  पढ़कै सुणकै घटना इसी इसी  मन बहुत घणा दुख पावै है Sad image  तड़पा तड़पा कै मार देवै   नोच नोच कै खावै हैं  ऐसी दरिंदगी देखकै  मानवता भी शरमावै है  जोर जबरदस्ती और निर्मम हत्या  के या ए मर्दानगी क्वावेै है  एक किस्सा बंद नहीं होता  दूसरा शुरू हो जावै है  नशा भी जड़ दिक्खै, बिघ्न की मनै  जो मानव न पशु बणावेै है  या पशुता और वहशीपण कदे निर्भया,कदे ट्विंकल कदे प्रियंका न सतावै है  एक किस्सा बंद नहीं होता दूसरा शुरू हो जावेै है  कुछ ना करता कोई भी इनका  ' बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ  बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ' के बस नारे लगावै हैं  जिन मां बापा की बेटी प बीत्तै है  उन न क्यूकर सबर आवै है  एक किस्सा बंद नहीं होता  दूसरा शुरू हो जावै है  मोमबत्ती जलाणा,देणा श्रद्धांजलि  कुछ ना बदल पावै है  समझ नहीं आता के होवैगा समाज का  विनाश की तरफ बढ़ता जावै है  एक किस्सा बंद नहीं होता  दूसरा शुरू हो जावै है  पढ़कै सुणकै घटना इसी इसी  मन बहुत घणा दुख पावै है  मन बहुत घणा दुख पावै है

मौत के इतने करीब/Sad poem

मौत के इतने करीब  थे, फिर भी आंखों मे खुशी के आँशु की छलक थी, हमारी सांसे थम रही थी, हमारा शरीर हमे छोड़ रहा था। कभी मौत के नाम से भी डरते थे, आज ख़ुशी-ख़ुशी गले लगा रहे थे। इस मौत की नींद मे चैन का सुकून था, क्योंकि हमारा सिर हमारी जान की गोद में था। हमारी साँसे टूट रही थी, उनका साथ छूट रहा था। ज़िन्दगी ने साथ छोड़ दिया, हमे उनसे दूर कर दिया। ज़िन्दगी के हर सफर मे साथ थे, मेरी जान हमेशा मेरे पास थे। ये मौत हमे उनसे दूर न ले जा सकी, जितने हम करीब थे उतना किसी और को ना ला सकी।

पापा की गुड़िया/

 सब कहते हैं पापा की गुड़िया  हूँ मैं, कोई ये नही जानता जहर की पुड़िया हूँ मैं, पापा की गुड़िया नादान थी, दुनिया के रंग -रूप से अनजान थी, बचपन मे खिलौने से खेलती थी, आज इस दुनिया ने हमे ही खिलौना बना दिया। पापा की गुड़िया मासूम थी , दुनिया ने जहर घोल -घोल कर , इसे ही जहर की पुड़िया बना दिया। कोई कितना ही प्यार करे हमे, हमारे दिल मे उन लोगों के लिए सिर्फ जहर है, जो हमे हाथ लगाएगा, उस पर यह जहर भारी पड़ जाएगा। सब - - - - - - - - - - - गुडित हूँ मैं, कोई- - - - - - - - - - - - जहर की पुड़िया हूँ मैं।