एक किस्सा बंद नहीं होता
दूसरा शुरू हो जावै है
पढ़कै सुणकै घटना इसी इसी
मन बहुत घणा दुख पावै है
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तड़पा तड़पा कै मार देवै
नोच नोच कै खावै हैं
ऐसी दरिंदगी देखकै
मानवता भी शरमावै है
जोर जबरदस्ती और निर्मम हत्या
के या ए मर्दानगी क्वावेै है
एक किस्सा बंद नहीं होता
दूसरा शुरू हो जावै है
नशा भी जड़ दिक्खै, बिघ्न की मनै
जो मानव न पशु बणावेै है
या पशुता और वहशीपण
कदे निर्भया,कदे ट्विंकल कदे प्रियंका न सतावै है
एक किस्सा बंद नहीं होता
दूसरा शुरू हो जावेै है
कुछ ना करता कोई भी इनका
'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'के बस नारे लगावै हैं
जिन मां बापा की बेटी प बीत्तै है
उन न क्यूकर सबर आवै है
एक किस्सा बंद नहीं होता
दूसरा शुरू हो जावै है
मोमबत्ती जलाणा,देणा श्रद्धांजलि
कुछ ना बदल पावै है
समझ नहीं आता के होवैगा समाज का
विनाश की तरफ बढ़ता जावै है
एक किस्सा बंद नहीं होता
दूसरा शुरू हो जावै है
पढ़कै सुणकै घटना इसी इसी
मन बहुत घणा दुख पावै है
मन बहुत घणा दुख पावै है
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