ज़िन्दगी के हर पहलू से रूबरू हो गए हम,
जब उस अलग दुनिया में मसरूफ हो गए।गलती से उस जगह पहुंच गए हम,
इतने सारे बच्चों को देख पहली बार खुश हुए हम,
अब भी इस दुनिया से अनजान थे,
कही न कही अब भी नादान थे।
खोज कर पता लगाया,
एक अनाथाश्रम का नाम आगे आया,
वो खुद भी पत्थर दिल हो गया,
जिन्होंने इन मासूमो को अनाथ कर दिया।
ज़िन्दगी ने ना जाने कितने गमो से रूबरू कराया हमे,
इन बच्चो के साथ ने हमें ज़िन्दगी के खूबसूरत ,
पलों का एहसास कराया।
उनके चेहरे पर एक नूर था,
उनकी हंसी के पीछे कही-न- कही,
वो चमकता कोहिनूर था।
ज़िन्दगी- - - - - - - कराया हमे,
जब - - - - - - - - - - - मसरूफ हो गए।
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