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परिंदा/sad poem


 

परिंदा वो जो गगन की ऊँचाई नाप ले
  समुद्र  की गहराई माप ले।👌👌

   परिंदा वो जो समुन्दर को फाड़ता आए,
   गगन को चीरता जाए।👌👌


   परिंदा वो जो अपने गीत से सबको बुलाए,
   अपने रंग से सबको लुभाए।👍👍👍

   कल पंख फैलाकर उड़ना हैं मुझे,
   इन लोगो की पतंग की डोर से बचना हैं मुझे।😊😊😊

   एक परिंदा हूँ मुझे जीना है इस खुले गगन मे।
   एक परिंदा हूँ मैं--------😊😊😊👌👌👍👍


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