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दर्द/Sad shayari

 ये ज़िन्दगी आज मायूस थी, कही-न-कही खामोश थी, एक पन्ने पर तेरा नाम दूसरे पर मैं गुमनाम थी।

शायरी/Romantic sayari

  कही दूर समुन्दर किनारे बैठ, समुन्दर की लहरों को सुनना , कुछ अजीब था। तेरे पास बैठ प्यार का इजहार सुन्ना, मेरा नसीब था।❤❤

ज़िन्दगी का एतबार/jindagi ki mahak

 ए ज़िन्दगी इतना एतबार न कर, कही-न-कही हमसें इतना प्यार न कर। पानी की लहरों की तरह, ज़िन्दगी धीरे-धीरे सी चल रही थी। बिना किसी तूफान के , खामोश सी बह रही थीं। किसी ने पानी मे पत्थर फेका, उसे बस इस पानी की प्यास थी। हल्की - हल्की पानी की हिलोरे, हमारी ज़िंदगी को एक नया नाम दे रही थी। उस पानी की आवाज हमारे दिल को, कही-न-कही छू रहीं थी। ए ज़िन्दगी तेरा एतबार आज भी बरकरार था, हमे उस अजनबी से आज भी प्यार था। Sad image related to pain

Poem on first day of college

  That first day of college,   When they hit,  These hearts also panicked,  Seeing them at first sight,  Do not know why so much persecution.  Every day wait for you,  Miss you at class time,  Keep an eye on you,  Became our habit  Think about you, smile  To talk among themselves,  Feeling of burning with others,  Became our habit  Not wanting to,  Fall in love with you  Even in our prayers,  Come to your attention  Everything is recognized.  Our breath is connected to your breath,  Slowly close and hold our hand,  In the first day of that college,  So much of everything happens.  Become unknown to fellow  The first day of college,  Realizing that everything has happened  To be the most special in our lives,  That college- - - - - - - - - - - First day.

मौत के इतने करीब/Sad poem

मौत के इतने करीब  थे, फिर भी आंखों मे खुशी के आँशु की छलक थी, हमारी सांसे थम रही थी, हमारा शरीर हमे छोड़ रहा था। कभी मौत के नाम से भी डरते थे, आज ख़ुशी-ख़ुशी गले लगा रहे थे। इस मौत की नींद मे चैन का सुकून था, क्योंकि हमारा सिर हमारी जान की गोद में था। हमारी साँसे टूट रही थी, उनका साथ छूट रहा था। ज़िन्दगी ने साथ छोड़ दिया, हमे उनसे दूर कर दिया। ज़िन्दगी के हर सफर मे साथ थे, मेरी जान हमेशा मेरे पास थे। ये मौत हमे उनसे दूर न ले जा सकी, जितने हम करीब थे उतना किसी और को ना ला सकी।
 ज़िन्दगी के हर पहलू से रूबरू हो गए हम, जब उस अलग दुनिया में मसरूफ हो गए। गलती से उस जगह पहुंच गए हम, इतने सारे बच्चों को देख पहली बार खुश हुए हम, अब भी इस दुनिया से अनजान थे, कही न कही अब भी  नादान थे। खोज कर पता लगाया, एक अनाथाश्रम का नाम आगे आया, वो खुद भी पत्थर दिल हो गया, जिन्होंने इन मासूमो को अनाथ कर दिया। ज़िन्दगी ने ना जाने कितने गमो से रूबरू कराया हमे, इन बच्चो के साथ ने हमें ज़िन्दगी के खूबसूरत , पलों का एहसास कराया। उनके चेहरे पर एक नूर था, उनकी हंसी के पीछे कही-न- कही, वो चमकता कोहिनूर था। ज़िन्दगी- - - - - - - कराया हमे, जब - - - - - - - - - - - मसरूफ हो गए।

पापा की गुड़िया/

 सब कहते हैं पापा की गुड़िया  हूँ मैं, कोई ये नही जानता जहर की पुड़िया हूँ मैं, पापा की गुड़िया नादान थी, दुनिया के रंग -रूप से अनजान थी, बचपन मे खिलौने से खेलती थी, आज इस दुनिया ने हमे ही खिलौना बना दिया। पापा की गुड़िया मासूम थी , दुनिया ने जहर घोल -घोल कर , इसे ही जहर की पुड़िया बना दिया। कोई कितना ही प्यार करे हमे, हमारे दिल मे उन लोगों के लिए सिर्फ जहर है, जो हमे हाथ लगाएगा, उस पर यह जहर भारी पड़ जाएगा। सब - - - - - - - - - - - गुडित हूँ मैं, कोई- - - - - - - - - - - - जहर की पुड़िया हूँ मैं।