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आज कुछ नया

 आज कुछ नया हो रहा था, न जाने क्यों हवाओ का रूख बदल रहा था, धीरे-धीरे मौसम भी बदल रहा था, जाने क्यों ऐसा पहली बार हो रहा था। आज- - - - - - - - - - - - हो रहा था, धीरे-धीरे- - - - - - - - - बदल रहा था सावन की पहली बरसात मे भी कुछ खास था, फूल-पतियों का यूँ खिल जाना एक नया एहसास था, आज- - - - - - - - - - - - हो रहा था। धीरे-धीरे- - - - - - - - - - बदल रहा था। आज हम भी कुछ बेचैन थे , न जाने क्यों इतने परेशान थे, किसी शायर ने इस परेशानी का कारण, एक मोहब्बत को बताया, न जाने कब उनकी मोहब्बत के हम कायल हो गए। आज- - - - - - - - - - - - - हो रहा था, धीरे-धीरे- - - - - - - - - बदल रहा था।

किस्सा अजीब है पहली मुलाकात का

 वो पहली मुलाकात भी कुछ खास थी, उनके साथ ली गयी चाय की चुस्कियां, आज भी याद थी। वो पहली मुलाकात भी कुछ खास थी, उनके हाथों की गर्माहट, आज भी याद थी। वो पहली मुलाकात भी कुछ खास थी, उनका हमे एक नज़र देखना, आज भी याद था। उस पहली मुलाकात मे भी कुछ बात थी, वो पहली मुलाकात कुछ ज्यादा ही खास थी, उनके साथ बिताए उस पल मे भी कुछ खास था, इसलिए तो वो पल आज भी याद था वो पहली- - - - - - - कुछ खास थी, उनके साथ- - -- - - - - आज भी याद थी।

Feeling of Love/Romantic poem

 प्यार वो एहसास हैं जो किसी एक से होता हैं किसी नेक से होता हैं।    जिन्हें कभी देखा नही उनके लिए ये एहसास था, कहि न कही उनके लिए ये प्यार था। न जाने कब हमारे साथ होंगे,  न जाने कब हमारे पास होंगे । प्यार- - - - - - - - --  - -  - - - - होता हैं किसी - - - - - - - - - - - - - -  - - -होता हैं। हमारी गलतियों ने , उन्हें हमसे खफा कर दिया। दूर होकर भी , हमे उनके पास कर दिया। हमारी आंखों को उनका इंतज़ार था , वो दूर हो गए, फिर भी न जाने क्यों उन्ही से प्यार था। प्यार - - - - - - - - - - - -  - - होता हैं किसी- - - - - - - - - - -   - होता हैं।

छाई बरखा बहार/Love poem

 आसमान मे बादल छाए, This image related to rain धीरे-धीरे बरखा लाए, बरखा की बूंदे, बच्चों को बहुत लुभाए, धीरे-धीरे सब मस्ती मे आए। आसमान- - - - - - लाए। मुरझाए फूल-पतो मे, जान आ गई, धीरे-धीरे आसमान मे , बरखा छा गई। आसमान- - - - - - - - - लाए। पशु-पक्षियों का कलरव छा गया, धीरे-धीरे मोर नाचने आ गया, वातावरण मे हरियाली छाई, धीरे-धीरे तीज भी , अपने घर से निकल आई। आसमान - - - - - - - - - लाए।

बेजुबान का दर्द/Sad poem

  दर्द को दर्द होने लगा हैं, दर्द - दर्द से खफा हो गया हैं,    आशुओँ ने भी बयां न किया मेरा दर्द, वो आँशु  भी खफा थे इस दर्द से-2 दर्द को - - - - - - - - खफा हो गया है। मैं तो बेजुबान थी , खाने की तलाश मे थी, जिन्हें दोस्त समझा वही दुश्मन निकले, भूख मिटाने गयी थी , मुझे ही मिटा दिया उन्होंने, दर्द को - - -- - - - - - - - - खफा हो गया है। एक फल के रूप में विस्फोटक खिलाकर, मेरे मुँह को छलनी कर दिया उन्होंने, मैं तो मैं मेरे बच्चे का भी सर्वनाश कर दिया उन्होंने, मैं तो बेजुबान थी अपना दर्द बयां न कर पाई। उन आशुओँ न भी बयां न किया मेरा दर्द, वो आशुओँ भी खफा थे इस दर्द से। दर्द को - - - - -   - - - - - - खफा हो गया है। तीन दिन उस नदी के तट पर खडी रही, अपने बच्चे के वियोग मे जलती रही, उस पीड़ा को सहन करती रही, और चंद घंटो मे मेरी कहानी खत्म हो गयी। उन आशुओँ न भी बयां न किया मेरा दर्द, वो आँशु भी खफा थे इस दर्द से। दर्द को - - - - - - - - - - - खफा हो गया हैं।

एक नायाब फनकार/Sad poem

  खुदा-ए-रहमत ना जाने कब किस पर बरसे। कोई नहीं जानता। दिन के बाद रात, सूरज के बाद चाँद, गरीबी के बाद अमीरी, एक नायाब फनकार (रानू मंडल) जिसके सिर पर अमीरी का ताज सजा कभी दो वक्त की रोटी की मोहताज थी वो, आज -खुदा-ए-रहमत, बरसी महलो की रानी हुई वो, टैंलेंट को किसी सिफारिश की नहीं बल्कि पहचाने वाले की जरूरत होती हैं।-2 हीरे की.परख.जौहरी को होती हैं, वहीं उस हीरे को तराश सकता है वो जौहरी, वो आम आदमी था जिसने उनके फन को पहचाना और उस हीरे को तराशा। जो आज बुलंदियो को छू रही हैं। खुदा -ए-रहमत- - - - - - कोई नहीं जानता।

रूह/Sad poem

  एक मासूम थी ,वो अलीगढ़ की ननही_ सी जान थी वो!_2 दुनिया मे किलकारियो के साथ आई थी वो।_2 ढाई साल की मासूम थी वो ट्विंकल नाम था उसका,_2 अभी तो टिमटिमाना बाकी था। उससे पहले ही उसकी रोशनी छीन ली उन दरिंदो ने।_2 चंद पैसो के लिए _2 इतनी बुरी मौत, कि रूह काॅप गई उसकी। अभी तो बोलना भी नही सीखा था उसने_2 उससे पहले ही कुछ दरिंदो ने आवाज बदं कर दी उसकी। चंद पैसो के- - - - - - - - - - रूह काॅप गई उसकी।_2 अभी तो आँखे खोली ही थी उसने,-2 सपने देखने बाँकी थे, उससे पहले ही आँखे फोङ डाली उसकी। चंद पैसो के लिए- - - - - - - - - - रूह काँप गई उसकी।-2 पाबंदी लगाते है कपङो पर,-2 वो तो अनजान,मासूम थी वो। फिर भी चंद पैसो के लिए- - - - - - - - रूह काँप गई उसकी।-2 ना जाने कितने अभियान चलाए-2 सेलफी विद डाॅटर,बेटी बचाओ बेटी पढाओ। थोड़े दिन के लिए रोशनी,फिर वही अधेंरा छा गया।-2 चंद पैसो के लिए - - - - - - - - रूह काँप गई उसकी। *निरभया हतयाकांड हो या आसिफा -2 ना जाने कितने दिनो बाद फैसला आया, और सजा कया मिली फाँसी,-2 सजा-ए-मौत वो हो, जो देखने वालो की रूह काँप जाए,-2 इन दरिंदो की आँखे उसी तरह फोड़ दी जाए, जैसा उनहो...